आ लोगां सूं ना राखो राजस्थानी मानता आन्दोलन में आवण री आस
अजय कुमार सोनी 'मोट्यार'
राजस्थानी नै मानता दिरावा खातर आज घणा लोग आगै आय रिया है, पण राजस्थानी रा लून्ठा अर समृद्ध साहित्कार लोग आगै तो आय रिया है, पण किण वास्तै? कदी सोच्यो? ऐ आय रिया है राजनीति, नाम खातर. राजस्थान में राजस्थानी नै मानता दिरावा वाला घणा लोग है पण म्हें इश्या लोग कदी नी देख्या. सब रा सब राजस्थानी पुरस्कार, नाम खातर आगै आवै. म्हें आपनै एक तकड़ी बात बताऊँ कै राजस्थानी रा आगिवाण श्री कमल जी रंगा (बीकानेर), आं रै भाई रो बीकानेर में एक स्कुल है. बठै एक खाश बात है कै ऐ लोग कोई भी टाबर नै राजस्थानी नी बोलण देवै. जे कोई उण स्कुल में राजस्थानी बोल भी गयो तो जुर्मानो भरणो पडसी. ऐ लोग फेर क्यूँ मान्यता री बात करै. ऐ लोग टाबरां नै राजस्थानी नीं बोलण देवै. एक उदाहरण ओर देवूं. म्हारै अठै एक स्कुल है, बीं में अंग्रेजी माध्यम सूं पढाई करवाई जावै है. बठै शिक्षा देवै कै "घर पर अंग्रेजी में बात किया करो", बां लोगां नै केवा वालो होणो चाईजे कै दादा-दादी नै पेली अंग्रेजी सिखाओ फेर अंग्रेजी में बात करो. कमल जी रंगा रा पिता जी श्री लक्ष्मी नारायण जी रंगा भी कीं कम नीं है. एल. पी. टेस्सितोरी री समाधि पर बोलण लाग रिया हां. बो भी हिंदी में, बाद में पुछ्यो तो बोल्या कै भाई ३५ साल हिंदी री रोटी खाई है. हिंदी नै कुकर छोड़ देवां. टेस्सितोरी राजस्थानी खातर इत्तो काम कार्यो, विदेशी हा तो भी. राजस्थानी रा एक ओर साहित्कार है जिका अपनै आप नै राजस्थानी आन्दोलन रा संस्थापक अर प्रदेशाध्यक्ष बतावै. बां रो नांव थे ही बताओ कै बे कुण है. राजस्थानी री रोटी खावै अर गुण गावै किणी ओर रा. मालचंद जी तिवाड़ी, सी पी देवल, बिज्जी जिस्या लोग आज नांव रा भूखा रैग्या है. आं लोगां चायो कै आपणों नांव टीवी, अखबार अर लोगां रै मुख ताई आवणों चाईजे पण इणी मुख सूं राजस्थानी जनमानस थानै गाळ काढै. गळती करग्या राजस्थानी लोग. राजस्थान पत्रिका जकी राजस्थान री रोटी खावै, अठै रो रिपियो लूटै अर हाजरी बजावै दूजी भाशावां री. राजस्थानी री कोई बात छापा रो केयो तो संपादक महोदय बोल्या कै "हम न तो राजस्थानी के पक्ष में छापेंगें और न ही विपक्ष में", थे लोगां पेली छाप दियो विपक्ष में अब क्यामी पक्ष में छापस्यो. भारत में जित्ता भी अंग्रेजी अखबार छपे, वा रा धणी राजस्थानी लोग है पण ऐ लोग कदी राजस्थानी खातर नीं बोलै. आं सारा लोगां नै रिपिया चाईजे, माँ नीं. आपां किण लोगां सूं राजस्थानी मानता री आस राखां. ऐ लोग सिर्फ अर सिर्फ नांव रा भूखा है. आं लोगां नै शर्म नीं आवै. ऐ राजनीति करणी जाणे. कई लोगां रा नांव इण भान्त है जिका राजस्थानी रा साहित्कार श्री ओम पुरोहित 'कागद' जी उपलब्ध कराया है. जका बतावे कै जे ऐ लोग १० दिन कारोबार बंद कर देवै तो मान्यता तैयार है.
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15बीका जी भुजिया
ऐ इत्ता इ लोग काफी है.........
तो म्हारी आपसूं अर्ज है कै इसा लोगां नै राजस्थान में रे'र राजस्थानी रो नांव ख़राब करण री जरुरत कोनी. आ लोगां नै केवो यूपी, बिहार में जाय'र रेवा लाग ज्यो.
जय राजस्थान!
जय राजस्थानी!!
आ बात साँची है कै राजस्थानी रा मोटा नांव बोल्बाल्या बैठ्या है.काईं जातां नीं कर रिया है,पण उणां रो नांव लेय'र गाळ काढनो चोखी बात कोनी.मरजादा रो ध्यान राख्स्याँ तो आपणा आन्दोलन री गरिमा बढसी.
जवाब देंहटाएंबात तो सुणी अअर साची लिखी है सा.
जवाब देंहटाएंBadiya bhai bhut badia..........
जवाब देंहटाएंइंयां ना कर अजय!ऐ 40 नांव म्हैँ इण पेटै नीँ भेज्या कै ऐ पईसा अर नांव रा भूखा है।आंरा नांव राजस्थानी समाज रै लूंठै लोगां रै रूप मेँ भेज्या अर अरज करी कै जे ऐ लोग आमरण अणसण माथै बैठै तो मानता आथणगै ई त्यार है।
जवाब देंहटाएंलिख।आग उगळ।पण भाषा माथै ध्यान राख।चीरहरण री दरकार कठै?ऐ भी आपणां ई भाई बंध है।राजस्थानी सारु आं रा भी भोत काम करियोड़ा है।थूं हाल जुवान है।थूं रूंख नै बळतो ई देख्यो है ऊगतो अर पळतो नीँ देख्यो।मानता आंदोलण रो रूंख लगायोड़ो तो आं रो ई है।
जबर लिखियो है। भणर घणो अफसोस हुयो ।
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