विनोद जी सारस्वत री नुवी कहाणी "हरखियो चमगुंगो व्हेग्यो" पर टिप्पणी

विनोद जी सारस्वत री नुवी कहाणी "हरखियो चमगुंगो व्हेग्यो" पर टिप्पणी

राम-राम हरखू जी,

काम तो घणो आछो करण लाग रिया हो आप. लखदाद है आपनै. आप किसै प्रान्त में रेवो. ठा है कई आपनै. ओ राजस्थान है. अठै राजस्थानी पढाई जासी टाबरां नै. आप बड़ा लोग हो. आप आपरा पोती-पोत्याँ नै घणे ऊँचा स्कूलां में पढ़ा सको हो. पण गरीब किसै स्कुल में पढासी. शर्म आवणी चायजै आपनै जके राज्य में जाम्या, रेवां लाग रिया हो, बठै रो नमक खाओ. जठै आपरी माँ आपनै लोरियां गा'र थानै सुनावै. उण राज्य में आप राजस्थानी नीं पढ़न देवो. देखन आप कित्ता लोगां नै रोकोला. अजे तो थे राजस्थानी लोगां रो प्यार देख्यो है. रोष नीं देख्यो. जे राजस्थान में राजस्थानी नीं पढाई जासी तो कीं न कीं तो खावण रा लखण तो आप करो इ हो. 
आपरी इण करतूत सूं सगळा लोग आप सूं खार खायोड़ा है. आप जीकी करतूत करी आप रा ठोड ठोड जीवता रा पुतला बाळण लाग रिया हाँ. लोग बांगा दे रिया है. सो आप सुधर जावो तो ठीक नीं तो वगत आपनै जरूर देखेला. राजस्थानी लोगां सूं भेदभाव करयो. इतिहास थानै कदी माफ़ नीं करेला. आप नै भगवान् कुम्भीपाक नरक सूं भी बड़ो नरक देवे. इस्सी आस राखां.

साथै-साथै आप आ कविता भी बांच लेवो कठै इ सदबुधि मिलै तो.
हिन्दी री हैवाई छोडो

हिन्दी री हैवाई छोडो, भासा मायड़ बोलो रै।
परभासा रै भूतां नै दूधै रौ तेज दिखाद्यो रै।
भासा मायड़ बोलो रै, राजस्थानी बोलो रै।

छाछ लेवण नैं आई आ तो घर री धिराणी बणगी रै।
रोटी-रूजगार खोस्या इण तो दफ्तर्यां में छागी रै।
भासा मायड़ बोलो रै, राजस्थानी बोलो रै।

साठ बरसां सूं छाती पर मूंग दळ रैयी
संस्क्रति रौ करियो कबाड़ो रै।
इण रौ बाळण बाळौ रै, इण रै लांपौ लगाद्यो रै।
भासा मायड़ बोलो रै, राजस्थानी बोलो रै।

पांच परदेसां रै पांण आ तो रास्ट्रभासा बणगी रै।
जबरी पोल मचाई इण तो समझ नाथी रौ बाड़ो रै।
फरजी डिगर्यां ले-ले आया धाड़वीं, नौकर्यां कब्जाई रै।
इण रौ नखरो भांगौ रै, राजस्थानी बोलो रै, भासा मायड़ बोलो रै।

जद बाईस भासावां संविधान सीकारी, रास्ट्रभासा कुणसी रै ?
राजस्थानी री बळी लेय'र आ तो हुयगी राती-माती रै।
इण नैं थोड़ी छांगो रै, इण री कड़तू तोड़ो रै, राजस्थानी बोलो रै।

जागो ! छात्र-छत्रपती, खोल उणींदी आंखड़ल्यां।
देद्यो नाहर सी दकाळ रै, धरती धूतै,
आभौ गरजै, धूजै भारत री सरकार रै।
छांटा-छिड़कां सूं नीं बूझैला आ मान्यता री आग रै।
छात्र-छत्रपती जागो रै, भासा मायड़ बोलो रै।

छात्र-छत़्रपती जागो रै ! ओ लूंठा सेठां जागो रै !
ओ बीकां, जोधां, मेड़तियां, सेखावतियां, सिसोदियां, सिहागां जागो रै।
थै क्यूं लारे रेवौ ? गोदारां मीणा भील-पड़िहारां रै ।
जात-पांत रै टंटै नैं छोडो एकमेक सुर सूं भरो राजस्थानी हुंकारौ रै।
भासा मायड़ बोलो रै।

साठ बरसां सूं उडीक रैया कै भारत रा भाग्यविधाता टूठैला,
पण घोर खेंच सूती सरकार सत लेवण नैं अड़गी रै।
इण री घोर खोलण सारू बजावो राजस्थानी धूंसौ रै।
राजस्थानी बोलो रै, भासा मायड़ बोलो रै।
हिन्दी री हैवाई छोडो, भासा मायड़ बोलो रै। 

आपरा राजस्थानी बेली

1 टिप्पणी:

आपरा विचार अठै मांडो सा....