राजस्थानी भाषा एक सशक्त भाषा है. आ भाषा भारत की दूसरी प्रादेशिक भाषावां एर शेष दुनिया कै बीच में कड़ी को काम करै है. राजस्थानी की जडां काफी गहरी हैं. ई भाषा की कहावतां को मूळ महाभारत एर रामायण तक भी जावै है. स्थानीय भाषा होने से ई बह्षा में कुछ शब्द इयांका हैं जका दूसरी भाषावां जियां हिंदी में बिलकुल ही कोनी मिलैं. अगर राजस्थानी भाषा नै जल्दी मान्यता नहीं दी जावेगी तो एक बहुत ही सम्रद्ध संस्कृति और साहित्य इतिहास में विलुप्त हो जावैगो. दूसरी भासा कै रूप में राजस्थानी की मांग करणी चाहिजै. तीसरी भासा कै रूप में दूजै प्रांतां री दर्जनभर भासावां पढ़ाई जावै, तो राजस्थान री राजस्थानी क्यूं नीं? सेठियाजी नै सही कैयो है -
mera manna hai ki sarkar ko jagane k liye maharastra navnirman sena ki tarh rajasthan navnirman sena ka gathn jaruri hai..... Hmari sarkar hmesa kahti hai ki Rajasthani bhasha ko manyta ki bat par gaur kiya jayega par sach mein us par koi dhyan nhi de rha hai.... Ab unhe dhyan dilane ki liye is tarah ki sena ka gathan hona bhut jaruri hai... Ram ram sa. Jai rajasthani.
वाह भई !वाह!! मायड़ भाषा पेटै जोरदार रांध्यो है रंधीण!मज़ा ई आग्या !म्हैँ ई सबड़का लेय'र खुद रो फोटूड़ो टांग दियो इण माथै अर बणग्यो ब्लागसपोटियो।अब तो हुआ? *मोट्यार परिषद रा तीनूं मोट्यारां नै रांधण री खेचळ सारु बधाई! *आपणी मायड़ भाषा राजस्थानी नै राज मानता मिलै किँयां ?मानता मांगणियां आगीवाण लोग छोटा छोटा सुआरथां सारु राजनीति साम्हीँ लुळता को धापै नीँ।कोई टिकट मिल्यां अर कई राज रा ओहदा मिल्यां टिकै बिकै।कईयां नै संघर्ष समित्यां री मनमाफक कार्यकारण्यां बणावण सूं फुरसत कोनीँ।मांग पूरीजणी है दिल्ली सूं पण कई जैपर मेँ धरणो लगाय'र राजी है क्यूं कै बांरा निजू सुआरथ जैपर सूं ई पूरीजणा हुवै।संघर्ष समित्यां रा लोग ई आप आप रै छेत्तर मेँ राजस्थानी री ठोड़ आप आप री बोली री पैरवी करता को धापै नीँ।ऐकता तो दिखै ई कोनी।बणा तो ल्यो प्रताप सैना पण प्रताप सैना ई जे इयां करण लागगी तो? मारवाड़ी प्रताप सैना,ढुंढाड़ी प्रताप सैना,मेवाड़ी प्रताप सैना,वागड़ी प्रताप सैना,हाड़ोती प्रताप सैना अर मेवाती प्रताप सैना बणगी तो? लारलै दिना जैपर मेँ ऐक बडी संस्था खानी सूं तेवड़ीज्योड़ै कार्यक्रम मेँ साफ दिखै हो कै हाल बडै बडै धड़ैबंध लोगां आपरी बोली रा मोह कोनी छोड्या ना छोडण दिया।ऐ मोह छोड्यां बणज्या ऐकता अर दूजै ई दिन मिलज्या मानता। *मानता रो मुद्दो आपां जेड़ा गैलां खनै ई है बाकीस लोगां नै चिंतावां मोकळी है।अकादम्यां रा अध्यक्ष बणना है, राज री कमेट्यां में आवणो है।राजस्थानी री राज मानता सारु राज सूं बांथीड़ा करणा पड़ै अर राज रै विरोध्यां नै ओहदा नीँ मिलै। राजस्थान सूं जाय'र दिल्ली मेँ धरणो लगावणियां नै तो जाबक ई कीँ नीँ मिलै।ठाह नीँ लोगां रो ओ डर कद मरसी ? जकै दिन ओ डर मरसी उण दिन मानता त्यार है। *हाल तो लड़त आ भी है कै पै'ली संघर्ष समिति म्हैँ बणाई, पै'लो ज्ञापन/माँग पत्र म्हैं दियो, पै'लो धरणो म्हैँ लगायो,संघर्ष समिति रो पै'लो संस्थापक अध्यक्ष/ पाटवी /महामंत्री म्हैँ हूं! इण नै बणाओ/इण नै हटाओ! आं सूं फुरसत मिल्यां मांग सारु दिल्ली जाईजै। *प्रताप सैना बणै मांग माथै तणै बात जद बणै काम मेँ समरपण री पण दरकार
nahi..... pratap sena banane ki koi zarurat nahi hai..... jis tarha maharashtra navnirman sena ke karmo k karan poore india mein marathion ka naam kharab ho gaya hai ussi tarha rajasthan ka bhi ho jayega.. isiliye aisi bair rakhne wali sena banakar rajasthani bhasha ko khud per sharminda hone per majboor mat karo..... rajasthani ko ek pavitra or khul ke zahir karne wali bhasha rehne do..... ise kisi per thop ker bandhish paida karke logo mein iske prati nafrat paida mat karo....
राम राम सा,
जवाब देंहटाएंराजस्थानी भाषा एक सशक्त भाषा है. आ भाषा भारत की दूसरी प्रादेशिक भाषावां एर शेष दुनिया कै बीच में कड़ी को काम करै है. राजस्थानी की जडां काफी गहरी हैं. ई भाषा की कहावतां को मूळ महाभारत एर रामायण तक भी जावै है. स्थानीय भाषा होने से ई बह्षा में कुछ शब्द इयांका हैं जका दूसरी भाषावां जियां हिंदी में बिलकुल ही कोनी मिलैं. अगर राजस्थानी भाषा नै जल्दी मान्यता नहीं दी जावेगी तो एक बहुत ही सम्रद्ध संस्कृति और साहित्य इतिहास में विलुप्त हो जावैगो. दूसरी भासा कै रूप में राजस्थानी की मांग करणी चाहिजै. तीसरी भासा कै रूप में दूजै प्रांतां री दर्जनभर भासावां पढ़ाई जावै, तो राजस्थान री राजस्थानी क्यूं नीं? सेठियाजी नै सही कैयो है -
आठ करोड़ मिनखां री मायड़ भासा समरथ लूंठी।
नहीं मानता द्यो तो टांगो लोकराज नै खूंटी।।
सादर
लक्ष्मन बुरड़क
mera manna hai ki sarkar ko jagane k liye maharastra navnirman
जवाब देंहटाएंsena ki tarh rajasthan navnirman sena ka gathn jaruri hai..... Hmari
sarkar hmesa kahti hai ki Rajasthani bhasha ko manyta ki bat par gaur
kiya jayega par sach mein us par koi dhyan nhi de rha hai.... Ab unhe
dhyan dilane ki liye is tarah ki sena ka gathan hona bhut jaruri
hai... Ram ram sa. Jai rajasthani.
Sandeep Swami (Jaipur)
वाह भई !वाह!!
जवाब देंहटाएंमायड़ भाषा पेटै जोरदार रांध्यो है रंधीण!मज़ा ई आग्या !म्हैँ ई सबड़का लेय'र खुद रो फोटूड़ो टांग दियो इण माथै अर बणग्यो ब्लागसपोटियो।अब तो हुआ?
*मोट्यार परिषद रा तीनूं मोट्यारां नै रांधण री खेचळ सारु बधाई!
*आपणी मायड़ भाषा राजस्थानी नै राज मानता मिलै किँयां ?मानता मांगणियां आगीवाण लोग छोटा छोटा सुआरथां सारु राजनीति साम्हीँ लुळता को धापै नीँ।कोई टिकट मिल्यां अर कई राज रा ओहदा मिल्यां टिकै बिकै।कईयां नै संघर्ष समित्यां री मनमाफक कार्यकारण्यां बणावण सूं फुरसत कोनीँ।मांग पूरीजणी है दिल्ली सूं पण कई जैपर मेँ धरणो लगाय'र राजी है क्यूं कै बांरा निजू सुआरथ जैपर सूं ई पूरीजणा हुवै।संघर्ष समित्यां रा लोग ई आप आप रै छेत्तर मेँ राजस्थानी री ठोड़ आप आप री बोली री पैरवी करता को धापै नीँ।ऐकता तो दिखै ई कोनी।बणा तो ल्यो प्रताप सैना पण प्रताप सैना ई जे इयां करण लागगी तो? मारवाड़ी प्रताप सैना,ढुंढाड़ी प्रताप सैना,मेवाड़ी प्रताप सैना,वागड़ी प्रताप सैना,हाड़ोती प्रताप सैना अर मेवाती प्रताप सैना बणगी तो? लारलै दिना जैपर मेँ ऐक बडी संस्था खानी सूं तेवड़ीज्योड़ै कार्यक्रम मेँ साफ दिखै हो कै हाल बडै बडै धड़ैबंध लोगां आपरी बोली रा मोह कोनी छोड्या ना छोडण दिया।ऐ मोह छोड्यां बणज्या ऐकता अर दूजै ई दिन मिलज्या मानता।
*मानता रो मुद्दो आपां जेड़ा गैलां खनै ई है बाकीस लोगां नै चिंतावां मोकळी है।अकादम्यां रा अध्यक्ष बणना है, राज री कमेट्यां में आवणो है।राजस्थानी री राज मानता सारु राज सूं बांथीड़ा करणा पड़ै अर राज रै विरोध्यां नै ओहदा नीँ मिलै। राजस्थान सूं जाय'र दिल्ली मेँ धरणो लगावणियां नै तो जाबक ई कीँ नीँ मिलै।ठाह नीँ लोगां रो ओ डर कद मरसी ? जकै दिन ओ डर मरसी उण दिन मानता त्यार है।
*हाल तो लड़त आ भी है कै पै'ली संघर्ष समिति म्हैँ बणाई, पै'लो ज्ञापन/माँग पत्र म्हैं दियो, पै'लो धरणो म्हैँ लगायो,संघर्ष समिति रो पै'लो संस्थापक अध्यक्ष/ पाटवी /महामंत्री म्हैँ हूं! इण नै बणाओ/इण नै हटाओ! आं सूं फुरसत मिल्यां मांग सारु दिल्ली जाईजै।
*प्रताप सैना बणै
मांग माथै तणै
बात जद बणै
काम मेँ समरपण री पण दरकार
nahi..... pratap sena banane ki koi zarurat nahi hai..... jis tarha maharashtra navnirman sena ke karmo k karan poore india mein marathion ka naam kharab ho gaya hai ussi tarha rajasthan ka bhi ho jayega.. isiliye aisi bair rakhne wali sena banakar rajasthani bhasha ko khud per sharminda hone per majboor mat karo..... rajasthani ko ek pavitra or khul ke zahir karne wali bhasha rehne do.....
जवाब देंहटाएंise kisi per thop ker bandhish paida karke logo mein iske prati nafrat paida mat karo....
shubham