नाम री भूख रेई है अब बाकी

नाम री भूख रेई है अब बाकी

राजस्थानी नै आज मानता नीं मिलण सूं माँ मरुवाणी आज घणी दुखी है. सबसूं ज्यादा दुखी है आं निकरमा, निबला पूतां सूं. कूंट में बड़-बड़ घणी रोवै. पण बा मां में सोचै कै ऐ पूत जाम तो दिया पण ऐ आपरो इज नुकसान करसी. माँ मरुवाणी बेठी देखै अर रोवै आरां करमां नै. बी नै ध्यान है कै ऐ अब ज्यादा दिन नी जीसी, पण ऊपर जायनै के मुंडो दिखासी. बिज्जी, मालचंद तिवाड़ी, लक्ष्मीनारायण जी रंग जिस कई मिनख ऊपर जाय केसी के म्हे ओ काम करयो. भगवन खुद करम ठोकने केसी कै थे लोगां थारी मां रो मां नी करयो, थारी राजस्थानी खातर थे कीं नी करयो. दूजी भाषावां खातर थे मरण पड्या पण थे थारी माँ री इज्जत रो ख्याल नीं राख्यो. आ लोगां नै भगवन कुम्भीपाक नरक देसी. पण म्है भी ऊपर जाय के मुंडो दिखास्यान के म्हे बारां इ वंसज हा. अरै सूत्या मिनखो, जागो थारी माय थारै आँगन में खड़ी पुकारै कै-

जाग-जाग लाडेसर जाग
मां रो काज संवारण जाग
मनै जाण जलम री डाटा
मातभोम बस असली माता
सारो काज संवारण जाग
जाग-जाग लाडेसर जाग!

सजळ नैण तेरी माय खड़ी है
दुःख री बेदी पाँव पड़ी है
तैं पर उणरी आस पड़ी है
मां रो दुःख हटावण जाग
जाग-जाग लाडेसर जाग!

बिज्जी, मालचंद जी, लक्ष्मी नारायण जी आप जागो अर महा जिसा नौजवानां रै तिल्लो लगाओ जिंसूं म्है जग उठां अर मानता ले'र बावड़ा. अब भी जाग्सो तो थारी जय-जैकार व्हेसी. नीं जाग्य तो थानै बदआशीष दियो जासी.
जय राजस्थान!
जय राजस्थानी!!